हिमाचल प्रदेश राज्य सूचना आयोग के आदेशों के बावजूद रोगियों को निशुल्क मिलने वाली दवाईयों के प्रतिदिन स्टेटस की संपूर्ण जानकारी आईजीएमसी के वेब पोर्टल पर देने का कार्य अभी तक शुरू नहीं हो पाया है। गौरतलब है कि अनिल सरस्वती बनाम जन सूचना अधिकारी आईजीएमसी एवं अस्पताल शिमला मामले में राज्य सूचना आयोग ने चार महीने पहले सुनाए गए अपने फैसले में कहा था कि उत्तरदाता रोगियों को निशुल्क वितरित की जाने वाली दवाइयों का स्टेटस प्रतिदिन प्रमुखता से आईजीएमसी के वेब पोर्टल पर अपलोड करने के लिए बाध्य हैं। आयोग ने अपने आदेशों में यह भी स्पष्ट किया था कि ऐसा करने से उक्त दवाओं की स्टॉक उपलब्धता के प्रति जनता की जागरूकता भी बनी रहेगी व अस्पताल प्रबंधन भी दवाईयों की खरीदारी के लिए उठाए जाने वाले पग समयबद्ध तरीके से उठाता रहेगा। आयोग के आदेशों का पालन करते हुए आईजीएमसी की वेबसाइट पर निशुल्क दवाओं के रूप में कुल मिलाकर तीन सौ साठ किस्म के इंजेक्टीबल, सर्जिकल कंज्यूमएबल व मेडिसिन (टेब) की जानकारी उपलब्ध करवाई गई है। इसके अलावा ईडीएल मॉलिक्यूल विवरण के रूप में कुल मिलाकर 1376 आइटम्स का भी हवाला दिया गया है। आईजीएमसी के वेब पोर्टल पर प्रतिदिन निशुल्क दवाइयों की एक सूची तो अपलोड की जाती है पर इस सूची में प्रत्येक निशुल्क दवाई के उपलब्ध स्टॉक की क्वांटिटी की कोई जानकारी नहीं दी जाती जिसे दिए बिना राज्य सूचना आयोग के आदेशों का पालन पूर्ण रूप से संभव नहीं लगता। यह सारा कार्य तभी अच्छे से हो सकता है यदि अस्पताल के वेब पोर्टल पर प्रतिदिन यह अपलोड किया जाए कि स्टॉक में कौन सी दवा किस मात्रा में बची है । वैसे कंप्यूटर तकनीक के इस युग में उक्त जानकारी मुहैया करवाना कोई कठिन कार्य तो नहीं लगता पर फिर भी राज्य सूचनाआयोग के आदेशों का पालन अभी तक पूरी तरह क्यों नहीं किया गया है इसकी बेहतर जानकारी तो आईजीएमसी प्रबंधन ही दे सकता है। राज्य सूचना आयोग का यह फैसला यकीनन बेहद प्रशंसनीय है तथा कुछ स्थानों से तो प्रदेश के अन्य अस्पतालों में भी ऐसी ही व्यवस्था लागू करने की मांग जोर पकड़ने लगी है। एक चीज तो निश्चित है की इस फैसले के पूरी तरह लागू हो जाने के बाद इंदिरा गांधी अस्पताल प्रबंधन को सरकारी नियमों के अंतर्गत मिलने वाली सभी निशुल्क दवाइयों का उचित स्टॉक हर समय हर हाल में रखना पड़ेगा जिसका सीधा फायदा गरीब मरीजों को मिलेगा।इस मामले में अपीलकर्ता व आरटीआई मामलों के वकील अनिल सरस्वती का कहना है कि आईजीएमसी के वेब पोर्टल पर प्रतिदिन निशुल्क दवाइयों की सूची अपलोड करते समय प्रत्येक दवाई के साथ उस दवाई की स्टॉक में उपलब्ध क्वांटिटी जरूर लिखी जानी चाहिए अन्यथा इस सारी कवायद का कोई विशेष महत्व नहीं रह जाएगा।आई जी एम सी एंड हॉस्पिटल के एम एस डॉ राहुल राव ने कहा की राज्य सुचना आयोग के निर्देशानुसार सुचना आई जी एम सी के बेब पोर्टल पर अपलोड की जा रही है l
रोगियों को निशुल्क वितरित की जाने वाली दवाइयों का दैनिक स्टेटस आईजीएमसी वेब पर नही कर पाया अपलोड
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