रामपुर बुशहर। न्यूज़ व्यूज पोस्ट—शिमला जिला के रामपुर विधानसभा हल्के के तहत झाकड़ी जिला परिषद वार्ड के उपचुनाव में काली भेड़ो का जादू सिर चढ़ कर बोला और चुनावी समीकरण बिगाड़ने में एक खेम सफल हुआ। ऐसे में यह चुनावी समीकरण व काली भेड़ो का प्रभाव आने वाले विधानसभा चुनाव के लिए प्रत्याशियों के भाग्य पर भी भारी पड़ सकता है। ज़िला परिषद उपचुनाव में हालांकि कांग्रेस भाजपा व माकपा समर्थित तीन ही प्रत्याशी मैदान में थे । लेकिन काली भेड़ों का बोलबाला कांग्रेस और भाजपा दोनों ही प्रमुख दलों में था। यह दीगर हैकि इस उपचुनाव में भाजपा के रुष्ट खेमे को अपने प्रभाव का जादू दिखाने का माकूल अवसर नहीं मिला । क्योकि चुनावी रणनीति में अधिकतर रुष्ट इस कदर बंध गए कि हालत तन से कहीं मन से कहीं बनी रही। लेकिन कांग्रेस के रुष्ट खेमें का जादू सिर चढ़कर बोला। इस से भाजपा की कांटो भरी राहें आसान हो गई थी। वैसे तो चुनाव के शुरुआत में दोनों ही दलों के रुष्टो की टोली विकल्प के तौर पर माकपा समर्थित प्रत्याशी को देख रहे थे। लेकिन उन्हें आभास हो गया कि माकपा प्रत्याशी के साथ जुगलबंदी उनकी हसरतों को पूरा नही कर पायेगी। उन का लक्ष्य अपनो को किसी भी हाल में लंगड़ी मारना था । ऐसे में उन्हें माकपा के मार्फ़त मंजिल दिख नही रही थी । इस हाल में रुष्टो को अपने-अपने आकाओं को सबक सिखाने के लिए दुश्मनों से ही मित्रता की थ्यूरी के साथ राजनीतिक बंदिशों को तोड़ अंदर खाते अभियान शुरू करना मजबूरी हो गया । इस दौरान कांग्रेस संगठन की लचर चुनाव प्रचार व्यवस्था का लाभ कांग्रेस के रुष्ट खेमे ने उठाते हुए स्वछंद मौका मिला और जमकर अंदर खाते भाजपा की मत रूपी झोली भरने की कोशिश की। जबकि भाजपा के अधिकतर रुष्टो को कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी के हक में मतों को परिवर्तित करने की फुर्सत नही दी गई। फिर भी वे अपने मजबूत नेटवर्क और सम्बन्धो के दम पर इच्छाओं को पूरी करने में सफल हुए।
बहरहाल झाकड़ी जिला परिषद वार्ड के उपचुनाव रामपुर की भविष्य की राजनीति के लिए अहम माना जा रहा है। यहां कांग्रेस और भाजपा के टिकट चाहवानो का रिपोर्ट कार्ड भी तैयार होगा और टिकट की लकीर भी इसी नतीजे के मार्फ़त खींची जा सकती है।