रामपुर बुशहर / विशेषर नेगी —–दो सौ दस मैगावाट की निर्माणाधीन लुहरी जल विद्युत परियोजना के
खिलाफ किसानो का हिमाचल किसान सभा के बैनर तले जन आंदोलन जारी।
परियोजना प्रभावित क्षेत्र के 13 पंचायतो के किसानो का आरोप परियोजना
मिर्माता और सरकार
किसानो की समस्याओ को कर रही है नजरअंदाज। किसान नेताओ ने किया एलान
अगर दस मई तक समस्या नहीं सुलझी तो होगा बड़ा जन आंदोलन। किसान 29 अप्रेल
से बैठे है बिथल परियोजना मुख्य कार्यालय के बाहर क्रमिक धरने पर।
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-दो सौ दस मैगावाट की निर्माणाधीन लुहरी जल विद्युत परियोजना के
खिलाफ किसानो का हिमाचल किसान सभा के बैनर तले जन आंदोलन जारी।
परियोजना प्रभावित क्षेत्र के 13 पंचायतो के किसानो का आरोप परियोजना
मिर्माता और सरकार
किसानो की समस्याओ को कर रही है नजरअंदाज। किसान नेताओ ने किया एलान
अगर दस मई तक समस्या नहीं सुलझी तो होगा बड़ा जन आंदोलन। किसान 29 अप्रेल
से बैठे है बिथल परियोजना मुख्य कार्यालय के बाहर क्रमिक धरने पर।
–हिमाचल व केंद्र सरकार के संयुक्त उपक्रम एसजेवीएन की 210
मेगावाट की निर्माणाधीन लुहरी परियोजना के खिलाफ परियोजना प्रभावित
क्षेत्र के लोगों ने आवाज उठानी शुरू कर दी है। हिमाचल किसान सभा के
बैनर तले प्रभावित 13 पंचायतों के लोगों ने जन धरना 29 अप्रैल से शुरू
किया है और उनकी मांगे ना माने जाने की सूरत में 10 मई के बाद बड़े
आंदोलन की भी चेतावनी दी है। प्रभावित क्षेत्र के लोगों का कहना है कि
सरकार व परियोजना निर्माता उनकी समस्याओं व हको को नजरअंदाज कर रही है।
धरने पर बैठे किसान नेताओ ने बताया परियोजना निर्माण के दौरान निकले
प्रदूषण से फसलों को हुई नुकसानी का मुआवजा भी नहीं दिया जा रहा है।
समझौते के अनुसार परियोजना प्रभावित क्षेत्र के बेरोजगारों को रोजगार
नहीं मिल रहा। इस के अलावा पेय जल समस्या और अन्य विकासात्मक कार्य नहीं
किये जा रहे है।
-माकपा के राज्य सचिव एवं हिमाचल किसान सभा के महासचिव डॉ
ओंकार शाद ने बताया यह प्रदर्शन लुहारी जल विद्युत परियोजना फेस वन से
जो किसान प्रभावित है उनकी जायज मांगे को ले कर है। जिस में रोजगार ,
पीने के पानी की समस्या , प्रदूषण से फसलों को हुए नुक्सान का मुआवजा और
अन्य विकासात्मक कार्य शामिल है। लेकिन परियोजना निर्माता अड़ियल
रवैया अपनाए हैं, इसलिए हिमाचल किसान सभा किसानों के साथ मिलकर इस आंदोलन
को आने वाले समय में और उग्र करेगी।
– देवकी नंद किसान सभा जिला सचिव ने बताया कि पिछले 29 तारीख से
परियोजना मुख्यालय के बाहर जो क्रमिक आंदोलन हो रहा है ,उसमें जो मुख्य
मांगे हैं उनमें जिन लोगो की इस परियोजना निर्माण में भूमि अधिग्रहित
हुई है उसका उचित मुआवजा मिलना चाहिए। परियोजना प्रभावित क्षेत्र के जो
नौजवान है उन्हें परियोजना में रोजगार मिलना चाहिए। इसी तरह प्रभावित
क्षेत्र की पंचायतों में पीने के पानी की समस्या हल करना और लाडा लाडा
का पैसा परियोजना क्षेत्र में ही खर्च किया जाए। और जो परियोजना निर्माण
से फसलों को नुकसान हुआ है उसका मुआवजा लोगों को अदा किया जाए भाई।
देलठ पंचायत की पूर्व प्रधान कृष्णा राणा ने बताया कि हमारा जो
जन आंदोलन चला है ,वह 13 पंचायतों के लोगों का है। इसमें हमारी मांगे है
वह चाहे रोजगार से जुड़ा हो या फिर परियोजना प्रदूषण क्षेत्र को 900
मीटर से अधिक बढ़ाने का का हो।
किन्नौर की रहने वाली सरिता नेगी बकरी पालक ने बताया इस बार
परियोजना से निकली धूल के कारण पहले उन की बकरियां पशु बीमार हुए और
उसके बाद 60 बकरियां मारी जा चुकी है। इसकी बाकायदा पशु चिकित्सकों ने
प्रदूषण से मरन की रिपोर्ट भी दी है।
Luhri–लुहरी परियोजना प्रमुख आर एल नेगी ने बताया परियोजना प्रभावित
क्षेत्र के लोगों की जो मांग है उन पर व्यवस्थित नीति नियम के हिसाब से
ही अम्ल किया जाएगा। सबसे पहले फसलों के प्रदूषण से हुए नुक्सान की
मांग की जा रही है लेकिन इसके लिए जिला कुल्लू व् शिमला जिला प्रशासन
ने संबंधित विभागों की कमेटी बनाई है जो नुक़्सानियो का आंकलन कर रिपोर्ट
सौपेगी। उन्होंने कहा कि कमेटी से भी निवेदन किया गया है कि जल्द से
जल्द जो नुक़्सानियाँ हुई है उसका आकलन करें ,ताकि परियोजना निर्माता
प्रभावितो को उसका मुआवजा दे सके।