रामपुर बुशहर –विशेषर नेगी —
राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक के सौजन्य से रामपुर में
किसान उत्पादक संगठनों के संचालकों के लिए लगाया तीन दिवसीय प्रशिक्षण
शिविर । प्रशिक्षण में बताया गया की किसान उत्पाद संगठन बना कर किसानों
को कैसे पहुंचाया जा सकता है लाभ । कैसे किसानों के उत्पाद को बिचौलियो
से छुटकारा दिला कर मंडी में बड़े व्यापारियों तक पहुँचाने का सकता है
विकल्प। प्रशिक्षण में बताया सरकार फार्मरज प्रोड्यूसर्ज
आर्गेनाइजेशन बना कर प्रारम्भ में कितना आर्थिक मदद और तकनिकी एवं बाजार
से जोड़ने के लिए करती है मदद ताकि किसान बने समृद्ध और आत्मनिर्भर ।
-शिमला जिला के रामपुर में ननखड़ी खंड की किसान उत्पाद संगठन
यानी एफपीओ संचालको के लिए नावार्ड की ओर से तीन दिवसीय प्रशिक्षण
शुरू हुआ। प्रशिक्षण के दौरान एफपीओ के निदेशक मंडल , मुख्य कार्यकारी
अधिकारी व लेखा अधिकारी को तकनिकी प्रशिक्षण दिया गया। ताकि भविष्य में
किसी भी प्रकार की परेशानी अथवा नुकसानी का किसानो को सामना ना करना
पड़े। प्रशिक्षण के दौरान बताया की केंद्र सरकार का लक्ष्य देश में दस
हजार किसानों के एफपीओज बनाने का है। उस दिशा में तेजी से काम हो रहा
है। सरकार का लक्ष्य हैकि छोटे एवं सीमांत किसानो को बिचौलियों से बचा
कर उन्हें अपने उत्पाद का सही मूल्य मिले। भविष्य में एफपीओ के माध्यम से
सरकारी सहायता से विभिन्न कृषि एवं बागवानी आधारित उद्योग स्थापित कर
उन के आय सृजन किया जा सके। इस से किसान को स्वरोजगार भी मिलेगा और अपने
उत्पादों का सही मूल्य भी प्राप्त कर सकेंगे।
प्रोजेक्ट लीडर एसपी चतुर्बेदी ने बताया केंद्र सरकार का देश
में दस हजार किसान उत्पाद संगठन बनाने का लक्ष्य है। उसी दिशा में आगे
बढ़ते हुए शिमला जिला के ननखड़ी ब्लॉक में एक फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी
बनाई गई है। इस कंपनी के तहत 300 छोटे व सीमांत किसानों को लेना है। यह
5 साल का कार्यक्रम है और एफपीओ बनाने के बाद उन्हें अपने पैरो खड़ा करने
के लिए 18 लाख रूपये अनुदान के रूप में मिलेंगे। यह किसानों की कम्पनी
होगी , इसमें सदस्य किसान होंगे। जो भी मुनाफा होगा वो सीधे किसानो को
होगा ,इसका मालिकाना हक भी किसानों का होगा। इसमें निदेशक मंडल के सदस्य
भी किसान ही होंगे।
-प्रदीप दडेल सीईओ ननखड़ी एग्रो फार्मर प्रड्यूसर कम्पनी ने बताया
की किसानो के एफपीओ के निदेशक , सीईओ , लेखा अधिकारी आदि के लिए तीन
दिवसीय प्रशिक्षण लगाया गया है ताकि किसान उत्पाद संगठन के संचालन में
बाधा ना आये। प्रशिक्षण में बताया जा रहा है की किसान कैसे संगठित हो कर
अपने उत्पाद को बिचौलियों से छुटकारा पा कर सीधे बड़े व्यापारी तक पहुंचा
सकता है। कैसे कृषि एवं बागवानी आधारित छोटे उद्योग लगा सकते है।