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रामपुर कांग्रेस में कही खुशी कही गम की स्थिति

रामपुर बुशहर। न्यूज व्यूज पोस्ट।

कांग्रेस बहुल विधान सभा हल्का रामपुर बुशहर को करीब 16 वर्ष बाद मंत्री स्तर का पद हासिल होने पर भी कांग्रेस में उत्साह देखने को नहीं मिला। हालांकि कांग्रेस का एक खेमा नंदलाल को कैबिनेट रैंक के साथ सातवें वित्त आयोग के अध्यक्ष के रूप में पद से नवाजे जाने से गदगद है और नंद लाल के रामपुर आगमन पर लोगों ने जोरदार स्वागत किया। लेकिन इसी के साथ-साथ एक कुनबे ने इस स्वागत समारोह से अपने आप को किनारा कर दिया था । इतना ही नहीं नंद लाल के राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष बनने के बाद प्रथम बार रामपुर आगमन पर कांग्रेसियों ने ज्यादा प्रचार प्रसार भी करना मुनासिब नहीं समझा था। ऐसे में चर्चा है कि हालीलाज समर्थको में नंदलाल के कैबिनेट स्तर पर पहुंचने से उत्साह नही है। क्योंकि अक्सर रामपुर कांग्रेस का सीधा संपर्क हालिलाज से रहा है और सभी विकास हो या अन्य कार्य हालीलाज के मार्फत ही चलता था । जबकि कई दशकों से विधायक रामपुर से कांग्रेस का ही जीतता रहा है । अक्सर रामपुर कांग्रेस में यह भी धारणा है कि रामपुर का विधायक हालीलाज के रहमों कर्म पर ही बनता है। यह दीगर है कि छह बार के मुख्यमंत्री रहे स्वर्गीय वीरभद्र सिंह की व्यक्तिगत पकड़ रामपुर की जनता से मजबूत थी। इसी लिए उन का इशारा विधान सभा चुनावों में रामपुर के कांग्रेस प्रत्याक्षी को जीत का तगमा दिलाता रहा। लेकिन उन के चले जाने के बाद पिछले विधान सभा चुनावों में कांग्रेस प्रत्याक्षी की जीत का अंतर पांच सौ के आस पास पहुंचा। जब कि पूर्व में रामपुर से कांग्रेस विधायक रिकार्ड मार्जन से जीत दर्ज करता था। ऐसे में हालीलाज की रामपुर कांग्रेस पर पकड़ ढीली पड़ने लगी। अब इस बार मुख्य मंत्री सुखविंदर सुक्खू द्वारा रामपुर से विधायक को कैबिनेट रैंक दिए जाने के बाद क्या रामपुर कांग्रेस दो ध्रुव की ओर चलेगा या कुनबा एक हो कर आगे बढ़ेगा अटकलबाजियां जारी है। पिछले काफी समय से विधायक समर्थक अपने आप को हाशिए पर महसूस कर रहे थे। लेकिन जैसे ही विधायक को कैबिनेट का दर्जा मिल गया उनके हौसले बुलंद हो गए हैं। ऐसे में आने वाले समय में रामपुर कांग्रेस का कुनबा एक होकर रहता है या फिर ध्रुवीकरण की राजनीति के साथ उभरेगा यह भविष्य के गर्भ में छिपा है ।

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