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देवताओं की जमीन अपने नाम करने वाले मुजारों की बढ़ी मुश्किलें, हिमाचल मे 84,000 बीघा भूमि लगी है मुजारों के नाम

शिमला / न्यूज़ व्यूज पोस्ट —

हिमाचल मे देवी देवताओं की जमीन हड़पने वाले मुजारों की मुश्किलें बढ़ गई है! हिमाचल हाईकोर्ट ने देवी-देवताओं के 365
कारदारों को नोटिस जारी कर और देवी-
देवताओं की जमीन का हिसाब न्यायालय में
रखने के आदेश दिए है। यह जानकारी देव
संस्कृति ट्रस्ट के प्रमुख ट्रस्टी ओम प्रकाश शर्मा नेपत्रकार वार्ता मे
कही। उन्होंने कहा कि देवी-देवताओं की
84000 बीघा जमीन मुजारों के नाम चली गई है
और अब देवी-देवता भूमिहीन हो गए हैं!
मुजारों ने देवी-देवताओं की चाकरी करना भी छोड़
दी है। अब कारदार उनसे जमीन छीन सकता है तथा दूसरों
को मुजारा बना सकता है जो देवता की सेवा कर
सके। उन्होंने कहा कि यह देवी-देवताओं की
ऐतिहासिक जीत है। उन्होंने कहा कि देव
संस्कृति चेरिटेबल ट्रस्ट की दायर याचिका पर
हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। उन्होंने समस्त
कारदारों को इसमें हाइकोर्ट का सहयोग करना
चाहिए क्योंकि कारदार देवताओं का मालिक
नहीं है बल्कि रखबाले हैं। उन्होंने कहा कि सबसे
ज्यादा जमीन माता अंबिका 4450 विघा मुजारों
के नाम लगी है। उन्होंने कहा कि
15/11/2022 को सभी
कारदारों को हाईकोर्ट में हाजिर होना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि देवी-देवताओं के पक्ष में देव
संस्कृति ट्रस्ट ने हाईकोर्ट का दरवाजा
खटखटाया है और अब देवी-देवताओं को न्याय
मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में भी
देवताओं की 21 हजार रजिस्ट्रियां रद्द हुई है और
हमें उम्मीद है कि यहां भी देवी-देवताओं की
जमीन बापस आएगी। उन्होंने कहा कि यहां
कुल्लू में कुछ लोग देवी-देवताओं पर राजनीति
कर रहे है। उन्होंने कहा कि भगवान रघुनाथ जी
के पास 1938 विघा जमीन थी जो 296 मुजारों
के नाम लगी है। उन्होंने कहा कि यह
सारी जमीन देवताओं के नाम बापस जानी
चाहिए क्योंकि देवता नावालिग होते हैं और
उनकी जमीन किसी के नाम नहीं लग सकती।
उन्होंने कहा कि नियमानुसार जब देवता के नाम
यह जमीन लगेगी तो मुजारे वे लोग रहेंगें जो
पहले थे। यदि मुजारे देव चाकरी छोड़ देते हैं तो मुजारों के नाम लगी देवताओं की जमीन का देना हिसाब देना होगा!

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